Section 39A of SMA : अनुच्छेद 39A: डिक्री और आदेशों का प्रवर्तन

The Special Marriage Act 1954

Summary

यह धारा बताती है कि विशेष विवाह अधिनियम के अध्याय V या अध्याय VI के अंतर्गत न्यायालय द्वारा दिए गए सभी डिक्री और आदेश उसी प्रकार प्रवर्तित किए जाएंगे जैसे कि किसी अन्य दीवानी अदालत के वर्तमान समय में किए गए निर्णय या आदेश।

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Explanation using Example

कल्पना कीजिए कि एक दंपति, जॉन और प्रिया, जिन्होंने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह किया था। कई वर्षों के बाद, वे असमाधान योग्य मतभेदों के कारण तलाक लेने का निर्णय लेते हैं। वे अदालत का रुख करते हैं, और अदालत विशेष विवाह अधिनियम के अध्याय VI के तहत तलाक की डिक्री देती है, जिसमें जॉन को प्रिया को गुजारा भत्ता देने का आदेश भी शामिल है।

इस परिदृश्य में, यदि जॉन गुजारा भत्ता देने के आदेश का पालन नहीं करता है, तो प्रिया अदालत की डिक्री और आदेश के प्रवर्तन की मांग कर सकती है। विशेष विवाह अधिनियम की धारा 39A के अनुसार, गुजारा भत्ता के लिए डिक्री उसी तरह प्रवर्तित की जाएगी जैसे कि किसी दीवानी अदालत की डिक्री होती है। इसका मतलब है कि प्रिया जॉन की कमाई या संपत्ति की कुर्की जैसी प्रक्रियाओं का उपयोग कर सकती है, या यहां तक कि अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू कर सकती है, ताकि उसे आदेशित गुजारा भत्ता मिल सके।