Section 7 of DPA : धारा 7: अपराधों का संज्ञान
The Dowry Prohibition Act 1961
Summary
धारा 7 के अनुसार, केवल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट दहेज मामलों की सुनवाई कर सकते हैं। अदालत अपराध का संज्ञान तभी लेगी जब उसे खुद जानकारी हो या पुलिस रिपोर्ट मिले, या पीड़ित व्यक्ति, उनके रिश्तेदार या मान्यता प्राप्त संस्था शिकायत करे। पीड़ित के दिए बयान के लिए उस पर अभियोजन नहीं होगा। दंड प्रक्रिया संहिता के कुछ प्रावधान इन मामलों पर लागू नहीं होते।
JavaScript did not load properly
Some content might be missing or broken. Please try disabling content blockers or use a different browser like Chrome, Safari or Firefox.
Explanation using Example
कल्पना करें कि एक महिला जिसका नाम प्रिया है, उसकी शादी के बाद उसके ससुराल वालों द्वारा अतिरिक्त दहेज के लिए परेशान किया गया है। वे एक महंगी कार की मांग करते हैं और धमकी देते हैं कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो उसे घर से निकाल देंगे। प्रिया ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्णय लिया।
दहेज निषेध अधिनियम, 1961 की धारा 7 के तहत, प्रिया सीधे प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट या मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दर्ज कर सकती है, क्योंकि इस अधिनियम के तहत अपराधों की सुनवाई इनसे निम्न कोई भी न्यायालय नहीं कर सकता। प्रिया की शिकायत, क्योंकि वह अपराध से पीड़ित है, न्यायालय को दहेज उत्पीड़न का संज्ञान लेने की अनुमति देती है, भले ही पुलिस रिपोर्ट की आवश्यकता न हो।
इसके अलावा, प्रिया द्वारा उसके ससुराल वालों के बारे में दिए गए किसी भी बयान के लिए उसे इस अधिनियम के तहत अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ेगा, जिससे उसे अपनी शिकायतें सामने लाने के लिए किसी कानूनी परिणाम से सुरक्षा मिलती है।