Section 235 of CrPC : अनुभाग 235: दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय।

The Code Of Criminal Procedure 1973

Summary

इस अनुभाग के अनुसार, न्यायाधीश तर्कों और विधिक बिंदुओं को सुनने के बाद मामले में निर्णय देते हैं। अगर अभियुक्त दोषी पाया जाता है, तो न्यायाधीश, धारा 360 के प्रावधानों के अनुसार न बढ़ते हुए, अभियुक्त से सजा के प्रश्नों पर सुनवाई करते हैं और फिर कानून के अनुसार सजा देते हैं।

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Explanation using Example

उदाहरण 1:

परिदृश्य: राजेश पर चोरी का आरोप है और वह सत्र न्यायालय में विचाराधीन है।

प्रक्रिया:

  1. तर्कों की सुनवाई: अभियोजन पक्ष सबूत और तर्क प्रस्तुत करता है कि राजेश ने चोरी की। राजेश का बचाव वकील तर्क करता है कि वह निर्दोष है और विरोधी सबूत प्रस्तुत करता है।
  2. निर्णय: सभी तर्कों और सबूतों पर विचार करने के बाद, न्यायाधीश तय करते हैं कि राजेश चोरी का दोषी नहीं है।
  3. परिणाम: न्यायाधीश दोषमुक्ति का निर्णय सुनाते हैं, जिसका अर्थ है कि राजेश को दोषमुक्त पाया गया है और वह जाने के लिए स्वतंत्र है।

उदाहरण 2:

परिदृश्य: प्रिया पर गंभीर चोट पहुंचाने का आरोप है और वह सत्र न्यायालय में विचाराधीन है।

प्रक्रिया:

  1. तर्कों की सुनवाई: अभियोजन पक्ष सबूत और तर्क प्रस्तुत करता है कि प्रिया ने पीड़ित को गंभीर चोट पहुंचाई। प्रिया का बचाव वकील तर्क करता है कि यह आत्मरक्षा का कार्य था।
  2. निर्णय: सभी तर्कों और सबूतों पर विचार करने के बाद, न्यायाधीश तय करते हैं कि प्रिया गंभीर चोट पहुंचाने के दोषी हैं।
  3. सजा सुनवाई: सजा सुनाने से पहले, न्यायाधीश प्रिया से पूछते हैं कि क्या उसे सजा के बारे में कुछ कहना है। प्रिया का वकील उसके स्वच्छ रिकॉर्ड और मामले की परिस्थितियों का हवाला देते हुए दया की अपील करता है।
  4. परिणाम: न्यायाधीश तर्कों पर विचार करते हैं और फिर कानून के अनुसार सजा सुनाते हैं, जिसमें अपराध की गंभीरता और अन्य कारकों के आधार पर कारावास या जुर्माना शामिल हो सकता है।